Dr. Yuvraj Singh

Dr Yuvraj Singh Gurjar, Joint Director at Department of Information Technology & Communication, Government of Rajasthan(India) has nearly two decades of vast experience in the IT Industry in e-Governance, Banking and Finance Domain with a strong track record of driving digital transformation.

Story – वो डिब्बा

चिलचिलाती ज्येष्ठ की दोपहरी हो या सावन की घनघोर बारिश हो, सरला अपने बेटे आलेख की स्कूल बस के इन्तजार में समय से पहले बस स्टॉप पे आकर खड़ी हो जाती थी। पल्लू से पसीना पोछती या फिर बारिश की बूंदे हटाते हुए वो बार बार सड़क में दूर तक निगाह दौड़ाती रहती। बस स्टॉप […]

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Story – लक्ष्मी के पग

रात के पौने 8 बजे का समय रहा होगा। एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है, गांव का रहने वाला था, पर तेज़ था। उसका बोलने का लहज़ा गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा हुआ लग रहा था। लगभग 22 वर्ष का रहा होगा । दुकानदार की पहली नज़र उसके

Story – श्रेष्ठ नागरिक

एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15–16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा — “आपके लिए क्या लाना है?” उस व्यक्ति ने कहा — “मैंने

Story – सबसे अनमोल

अशोक जी अपनी पत्नी के साथ अपनी रिटायर्ड जिंदगी बहुत हँसी खुशी गुजा़र रहे थे। उनके तीनों बेटे अलग अलग शहरों में अपने अपने परिवारों के साथ थे। उन्होनें नियम बना रखा था….दीपावली पर तीनों बेटे सपरिवार उनके पास आते थे…वो एक सप्ताह कैसे मस्ती में बीत जाता था…कुछ पता ही नही चलता था। कैसे

Story – बैटर ऑप्शन

नौकरी संबंधित कार्य से लगभग हर रोज दिल्ली जाना होता है। वापसी पर मुरथल के एक ढाबे पर रात्रिभोज हेतु रुकता हूं। खाने का मेन्यू सेट है — हाफ दाल, 3 रोटी, 1 प्लेट सलाद, 2 कटोरी सफेद मक्खन,……..और आखिर में खीर। लगभग हर रोज एक व्यक्ति मेरी टेबल पर आता है। मैं उसे वही

Story – पिताजी

रवि ऑफिस से आते ही सीधे कमरे की तरफ़ चला गया। बैठक में बैठे पिता, जिनकी आंखें उसके आने के समय बाहर टिक जाती थीं, उसके आते ही निश्चिंत हो कमरे में चले जाते। ये उनका रोज़ का नियम है। आज ही नहीं उसके बचपन से। 5…10…15 मिनट ऊपर होते ही उनकी बेचैनी शब्दों में

Story – बाऊजी की थाली

बाऊजी के लिये खाने की थाली लगाना आसान काम नहीं था।उनकी थाली लगाने का मतलब था-थाली को विभिन्न पकवानों से इस तरह सजाना मानो ये खाने के लिए नहीं बल्कि किसी प्रदर्शनी में दिखाने के लिए रखी जानी हो। सब्ज़ी,रोटी,दाल सब चीज़ व्यवस्थित तरीके से रखी जाती। घर मे एक ही किनारे वाली थाली थी

Story – नई दुनिया

ट्रेन में एक पिता-पुत्र सफर कर रहे थे. 24 वर्षीय पुत्र खिड़की से बाहर देख रहा था, अचानक वो चिल्लाया — “पापा देखो पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हैं !” पिता कुछ बोला नहीं, बस सुनकर मुस्कुरा दिया। ये देखकर बगल में बैठे एक युवा दम्पति को अजीब लगा और उस लड़के के बचकाने

Story – कागज का एक टुकड़ा

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को

Story – दो शब्द प्रेम के

एक देवरानी और जेठानी में किसी बात पर जोरदार बहस हुई और दोनो में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली और अपने-अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया। परन्तु थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट-खट हुई। जेठानी

Story – सुकून

शहर की बहुत बडी मिठाई पकौड़ों की दुकान थी जिसके ब्रेड पकौड़े और समोसे बडे मशहूर थे। मैं पहले भी उस दुकान की तारीफें सुन चुका था, मगर कल जब एक खास दोस्त ने कहा — “भाई….. क्या स्वादिष्ट थे समोसे …और इतने बढिया मुलायम ब्रेड पकौड़े …वाह मजा ही आ गया”। सो आज मैंने

Story – खुशियों का सौदा

इस बड़े शहर में एक छोटा सा कॉस्मेटिक शॉप है मेरा — “झुमकी श्रृंगार स्टोर”। पति ने खोला था मेरे नाम पर। आज एक नया जोड़ा आया है मेरे दुकान पर।स्टाफ ने बताया कि सुबह से दूसरी बार आये हैं।एक कंगन इन्हें पसंद है पर इनके हिसाब से दाम ज्यादा है। इन्हें देख इस दुकान

Story – अपनी कमाई

टुनटुन बाबु — गाँव के सबसे बड़े गृहस्थ के एकलौते बेटे। कहते हैं — इनके यहाँ 1907 से ही गाड़ी है। सन 1952 से ही रसियन ट्रेक्टर और अशोक लेलैंड की ट्रक। जम के ईख की खेती होती। खुद परिवार वालों को नहीं पता की कितनी ज़मीन होगी। इलाके में नाम! गांव बोले तो ‘टुनटुन

Story – बँटवारा बाप का

“पिताजी! पंचायत इकठ्ठी हो गई, अब संपत्ति का बँटवारा कर दो”, घर के सबसे बड़े बेटे ने अपने बाप से कहा। सरपंच — ”जब साथ में निबाह न हो तो औलाद को अलग कर देना ही ठीक है, अब यह बताओ तुम किस बेटे के साथ रहोगे ?” सरपंच ने बुजुर्ग बाप से पूछा। “अरे

Story – वक्त ही नहीं मिला

कहा किसी ने, के आ मिलो, तो वक्त ही नहीं मिला,किसी का दर्द बाँट लो, तो वक्त ही नहीं मिला,जो चाहा कुछ लिखुं कभी, तो वक्त ही नहीं मिला,आराम करना चाहा जो, तो वक्त ही नहीं मिला,माँ बाप को मैं वक़्त दू, तो वक्त ही नहीं मिला। ये सेहत गिर रही थी जब, मुझसे कहा

Story – Teacher’s Day

Originally as stated by an Indian teacher working in Japan Once I asked my Japanese colleague, Teacher Yamamoto: “When do you celebrate Teachers’ Day in Japan, and how do you observe it?” Surprised by my question, he replied: We don’t have any Teachers’ Day celebration. Hearing his response, I didn’t know whether to believe him or

Story – आत्मसंयम

एक शिष्य थे ।उनका मन किसी भी भगवान की साधना में नही लगता था। साधना करने की इच्छा भी मन मे थी । वे गुरु के पास गये और कहा — “गुरुदेव मन लगता नहीं और साधना करने का मन होता है। कोई ऐसी साधना बताएं जो मन भी लगे और साधना भी हो जाये

Story – सम्मान की भूख

कल रविवार का दिन था। घर के बाहर अखबार पढ़ने के बाद राजेश जी बरामदे में बैठे रेडियो पर गानें सुन रहे थे। एकाएक उनके कानों में इकतारे की धुन के साथ साथ लोक संगीत के बोल घुल गये। आँखे खोलकर उन्होने आवाज की दिशा में देखा। दरवाजे पर खड़ा एक बूढ़ा याचक कुछ गाते

Story – औलाद

लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा था (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन ने बाहर आकर पूछा — “क्या है ? बालक — “आंटी जी क्या मैं आपका बगीचा साफ कर दूं?” मालकिन — नहीं, हमें नहीं करवाना बालक — हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर

Story – बड़ा भाई

लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा था (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकिन ने बाहर आकर पूछा — “क्या है ? बालक — “आंटी जी क्या मैं आपका बगीचा साफ कर दूं?” मालकिन — नहीं, हमें नहीं करवाना बालक — हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर

Story – फ्यूज बल्ब

एक वरिष्ठ अधिकारी सेवानिवृत्त हुए और अपने आलीशान आधिकारिक क्वार्टर से हाउसिंग सोसाइटी में स्थानांतरित हो गए, जहां उनके पास एक फ्लैट था। वह अपने आप को बड़ा समझते थे और कभी किसी से बात नहीं करते थे। यहां तक कि हर शाम सोसायटी पार्क में टहलते समय भी वह दूसरों को नजरअंदाज कर देते

Story – चमत्कार

एक कंपनी की हर दीपावली की पूर्व संध्या पर एक पार्टी और लॉटरी आयोजित करने की परंपरा थी। लॉटरी ड्रा के नियम इस प्रकार थे: प्रत्येक कर्मचारी एक फंड के रूप में सौ रुपये का भुगतान करता है। कंपनी में तीन सौ लोग थे। यानी कुल तीस हजार रुपये जुटाए जा सकते हैं। विजेता सारा

Story – यह सब कॉफ़ी में है!!!

एक युवा जोड़े के पड़ोसी वरिष्ठ नागरिक थे, पति लगभग 80 वर्ष का था और पत्नी लगभग 75 वर्ष की थी। युवा जोड़े को बुजुर्ग जोड़े से बहुत प्यार था और उन्होंने हर रविवार को उनसे मिलने और उनके साथ कॉफी पीने का निश्चय किया। उन्होंने देखा कि बूढ़ा आदमी हमेशा बुढ़िया से कॉफी बनाने

Story – प्लम्बर

संडे का दिन था, रसोई में नल से पानी रिस रहा था, तो मैंने एक प्लंबर को बुला लिया। मैं उसको काम करते देख रहा था। उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा? उसने पाइप से नल

Story – प्रलोभन

एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। इसलिए पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था। एक बार वे अपने गंतव्य की और जाने के लिए बस मे चढ़े। उन्होंने कंडक्टर को किराए

Story – रिजर्वेशन

बात कुछ साल पहले की है जब मैं ट्रैन से मुंबई का सफर कर रहा था। कोटा से एक अंकल मेरे सामने वाली सीट पर आ कर बैठे। सर्दियों के दिन थे। जल्द ही अँधेरा छाने लगा था। कुछ ही समय में मैंने गौर किया की सामने बैठे अंकल फोन के टार्च से अपने टिकट

Story – हाँ, भगवान है

एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानों की एक टुकड़ी हिमालय के अपने रास्ते पर थी। बेतहाशा ठण्ड में मेजर ने सोचा की अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाती तो आगे बढ़ने की ताकत आ जाती। लेकिन रात का समय था आस पास कोई बस्ती भी नहीं थी, लगभग एक घंटे की चढ़ाई

Story – बहन — एक एहसास

आज उसका आखिरी दिन है घर में। यकीन नही हो रहा, कल चली जाएगी वो हम सभी को छोडकर एक नए घर,नई दुनिया में… मगर कल से मेरे बिखरे कपडे कौन अलमारी मे सहेज कर रखेगा।मेरे हिस्से की लिम्का, मेरे हिस्से की चॉकलेट, कौन मुझसे झगडेगा।रोज कालेज से आने पर छुपके से बैग चैंकिग।किसी लडकी

Story – सलाह

एक व्यक्ति ने अगरबत्ती की दुकान खोली। नाना प्रकार की अगरबत्तियां थीं। उसने दुकान के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया — “यहाँ सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती हैं।” दुकान चल निकली! एक दिन एक ग्राहक उसके दुकान पर आया और कहा — “आपने जो बोर्ड लगा रखा है , उसमें एक विरोधाभास है! भला अगरबत्ती सुगंधित नहीं

Story – डेढ़ टिकट

महानगर के उस अंतिम बस स्टॉप पर जैसे ही कंडक्टर ने बस रोक दरवाज़ा खोला, नीचे खड़े एक देहाती बुज़ुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते क़दमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी। गांव जाने वाली

Story – गुरु कौन?

बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में एक बेहद प्रभावशाली महंत रहते थे। उन के पास शिक्षा लेने हेतु दूर दूर से शिष्य आते थे। एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया — स्वामीजी आपके गुरु कौन है? आपने किस गुरु से शिक्षा प्राप्त की है? महंत शिष्य का सवाल सुन

Story – माँ का पल्लू

एक दिन दोस्तों से “माँ के पल्लू” पर बहुत लम्बी चर्चा हुई जिसे मैंने यहाँ संकलित करने की कोशिश की है, आशा है मेरे सभी दोस्तों को फिर से वो दिन याद आ जायेंगे — “माँ के पल्लू का सिद्धाँत … माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था” इसके साथ ही … यह

Story – मन्नत

“चुप कर तू। ताई बड़ी माँ के समान होती है।” बचपन से लेकर मेरे बच्चों के बड़े हो जाने तक माँ से आज भी मुझे यही सुनने को मिलता है। ताई के खिलाफ माँ मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं सुन सकती और एक ताई हैं जो माँ को कुछ सुनाये बिना रह नहीं

Story – वो लड़के…

जिन लड़को ने कभी हथेलियों को फैलाकर नही माँगी मोहब्बत, बल्कि हमेशा अपने सपनों से इश्क़ किया। जिन लड़कों की घड़ी में कभी नही फंसा किसी का दुपट्टा, बल्कि वो घड़ी इन्हें बताती रही कि मंजिल तक पहुँचने में बहुत कम समय है। वो लड़के जो आधी रात को कभी नही डूबे महबूब की बातों

Story – जादुई घर

एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो, तो आज मेरे लिए भी कुछ लिखो तो मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में एक अच्छे लेखक हो। यहाँ लेखक ने क्या लिखा है: “मेरा जादुई घर” मैं, मेरी पत्नी और हमारे बच्चे, एक जादुई घर में रहते हैं।

Story – प्रार्थना

हमारे ऑफिस के पास एक नाश्ता प्वाइंट है और हम अक्सर वहां नाश्ते के लिए जाते हैं। अक्सर वहां बहुत भीड़ होती है। कई बार मैंने देखा है कि एक व्यक्ति आता है और भीड़ का फायदा उठाकर खाना खाकर चुपके से बिना पैसे दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था

Story – मोक्ष

आज सुबह “morning walk” पर, एक व्यक्ति को देखा। मुझ से आधा “किलोमीटर” आगे था।अंदाज़ा लगाया कि मुझ से थोड़ा “धीरे” ही भाग रहा था। एक अजीब सी “खुशी” मिली। मैं पकड़ लूंगा उसे और यकीन भी। मैं तेज़ और तेज़ चलने लगा, आगे बढ़ते हर कदम के साथ, मैं उसके “करीब” पहुंच रहा था।

Story – प्रभु की फोटो

खचाखच भरी बस में कंडक्टर को एक गिरा हुआ बटुआ मिला जिसमे एक सौ का नोट और भगवान् की एक फोटो थी. वह जोर से चिल्लाया — “अरे भाई! किसी का बटुआ गिरा है क्या?” अपनी जेबें टटोलने के बाद सीनियर सिटीजन सीट पर बैठा एक आदमी बोला — “हाँ, बेटा शायद वो मेरा बटुआ

Story – ईश्वर का दृष्टिकोण

एक बार दो आदमी एक मंदिर के पास बैठे गपशप कर रहे थे। वहां अंधेरा छा रहा था और बादल मंडरा रहे थे। थोड़ी देर में वहां एक आदमी आया और वो भी उन दोनों के साथ बैठकर गपशप करने लगा। कुछ देर बाद वो आदमी बोला उसे बहुत भूख लग रही है, उन दोनों

Story – जैसी प्रभु की इच्छा

घने जंगल से गुजरती हुई सड़क के किनारे एक ज्ञानी गुरु अपने चेले के साथ एक साइनबोर्ड लगाकर बैठे हुए थे, जिस पर लिखा था ……“ठहरिये … आपका अंत निकट है ! इससे पहले कि बहुत देर हो जाये , रुकिए ! … हम आपका जीवन बचा सकते हैं !” एक कार फर्राटा भरते हुए

Story – लगन

एक छोटा बच्चा एक बड़ी दुकान पर लगे टेलीफोन बूथ पर जाता हैं और मालिक से छुट्टे पैसे लेकर एक नंबर डायल करता हैं| दुकान का मालिक उस लड़के को ध्यान से देखते हुए उसकी बातचीत पर ध्यान देता हैं लड़का– मैडम क्या आप मुझे अपने बगीचे की साफ़ सफाई का काम देंगी? औरत– (दूसरी

Story – सींप की कीमत

एक 6 वर्ष का लड़का अपनी 4 वर्ष की छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था। अचानक से उसे लगा की उसकी बहन पीछे रह गयी है। वह रुका, पीछे मुड़कर देखा तो जाना कि उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खड़ी कोई चीज निहार रही है। लड़का पीछे आता है

Story – पिता का आशीर्वाद

जब उसकी मृत्यु का समय सन्निकट आया तो उसने अपने एकमात्र पुत्र को बुलाकर कहा कि बेटा — “मेरे पास धन संपत्ति तो हैं नहीं है जो मैं तुम्हें विरासत में दूं , पर मैंने जीवन भर सच्चाई और प्रामाणिकता से काम किया है तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि, तुम जीवन में बहुत सुखी रहोगे

Services underneath Rajasthan Payment Platform

Rajasthan Payment Platform (RPP) is an e-Gateway initiative to facilitate State Government Departments & PSU’s, by providing an end-to-end digital payment solution for collection and disbursement of funds. As discussed in my earlier stories, “Rajasthan Payment Platform — An Overview” and “Objective of establishing Rajasthan Payment Platform — The Payment Routing Engine of Rajasthan”, the

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