ब्याव के जीमण में फूफाजी ने अफवाह उड़ा दी — “काजू कतली थोड़ी कम पड़ती दिख रही है”
फिर क्या?
सब कतली पर टूट पड़े, जो कभी काजू कतली नही खाते, वो भी दो चार पीस खा गए।
दो कतली खाने वाले ने एक साथ छ -सात उठाये, शायद दुबारा मिले न मिले।
और तो और 400 पार वाले डाईबेटिक पेसेंट ने भी टेस्ट करने के बहाने चार पांच पीस टिका लिए।
नए दामाद सहित घर के सब लोग कोठियार में बैठे फूफाजी को कोस रहे थे कि अगर वो बताते नही कि कतली कम पड़ रही है तो शायद कतली इतनी नही उठती।
अब आधी रात को इतनी कतली लाये कहां से?
फूफाजी ने कतली की छुपाई हुई दो ट्रे निकाल कर मुस्कराते हुए कहा — वैसे कम तो “राजभोग” पड रहे थे।
NOTE:-फूफाजी तो बड़े ग्रेट जीव होते है पर आजकल सारे कमेडियन उस निरीह प्राणी का मजाक उड़ाते है। फूफाजी बनने के बाद मैंने स्वय के सम्मान में पोस्ट लिखी है। फूफाजी तो बड़े ग्रेट जीव होते है पर आजकल सारे कमेडियन उस निरीह प्राणी का मजाक उड़ाते है। फूफाजी बनने के बाद मैंने स्वय के सम्मान में पोस्ट लिखी है।
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