कहा किसी ने, के आ मिलो, तो वक्त ही नहीं मिला,
किसी का दर्द बाँट लो, तो वक्त ही नहीं मिला,
जो चाहा कुछ लिखुं कभी, तो वक्त ही नहीं मिला,
आराम करना चाहा जो, तो वक्त ही नहीं मिला,
माँ बाप को मैं वक़्त दू, तो वक्त ही नहीं मिला।
ये सेहत गिर रही थी जब, मुझसे कहा ये भाई ने तब,
के सारे काम छोड़ दो, किसी डॉक्टर से वक़्त लो,
तो वक्त ही नहीं मिला।
कामो की एक कतार है, जो ज़ेहन पर सवार है,
पिछले जो समेट लूँ , फेहरिस्त नयी तैयार है,
कैसे सब ख़तम करू, के वक्त ही नहीं मिला।
कैसे बनेगी बात फिर, के उम्र सब गुजार दी,
और वक़्त ही मिला नहीं,
तो वक़्त ये कहाँ गया, के वक्त ही नहीं मिला।
Source: Unknown 🙂