May 2024

Story – पिताजी

रवि ऑफिस से आते ही सीधे कमरे की तरफ़ चला गया। बैठक में बैठे पिता, जिनकी आंखें उसके आने के समय बाहर टिक जाती थीं, उसके आते ही निश्चिंत हो कमरे में चले जाते। ये उनका रोज़ का नियम है। आज ही नहीं उसके बचपन से। 5…10…15 मिनट ऊपर होते ही उनकी बेचैनी शब्दों में […]

Story – बाऊजी की थाली

बाऊजी के लिये खाने की थाली लगाना आसान काम नहीं था।उनकी थाली लगाने का मतलब था-थाली को विभिन्न पकवानों से इस तरह सजाना मानो ये खाने के लिए नहीं बल्कि किसी प्रदर्शनी में दिखाने के लिए रखी जानी हो। सब्ज़ी,रोटी,दाल सब चीज़ व्यवस्थित तरीके से रखी जाती। घर मे एक ही किनारे वाली थाली थी

Story – नई दुनिया

ट्रेन में एक पिता-पुत्र सफर कर रहे थे. 24 वर्षीय पुत्र खिड़की से बाहर देख रहा था, अचानक वो चिल्लाया — “पापा देखो पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हैं !” पिता कुछ बोला नहीं, बस सुनकर मुस्कुरा दिया। ये देखकर बगल में बैठे एक युवा दम्पति को अजीब लगा और उस लड़के के बचकाने

Story – कागज का एक टुकड़ा

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को

Story – दो शब्द प्रेम के

एक देवरानी और जेठानी में किसी बात पर जोरदार बहस हुई और दोनो में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली और अपने-अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया। परन्तु थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट-खट हुई। जेठानी

Story – सुकून

शहर की बहुत बडी मिठाई पकौड़ों की दुकान थी जिसके ब्रेड पकौड़े और समोसे बडे मशहूर थे। मैं पहले भी उस दुकान की तारीफें सुन चुका था, मगर कल जब एक खास दोस्त ने कहा — “भाई….. क्या स्वादिष्ट थे समोसे …और इतने बढिया मुलायम ब्रेड पकौड़े …वाह मजा ही आ गया”। सो आज मैंने

Story – खुशियों का सौदा

इस बड़े शहर में एक छोटा सा कॉस्मेटिक शॉप है मेरा — “झुमकी श्रृंगार स्टोर”। पति ने खोला था मेरे नाम पर। आज एक नया जोड़ा आया है मेरे दुकान पर।स्टाफ ने बताया कि सुबह से दूसरी बार आये हैं।एक कंगन इन्हें पसंद है पर इनके हिसाब से दाम ज्यादा है। इन्हें देख इस दुकान

Story – अपनी कमाई

टुनटुन बाबु — गाँव के सबसे बड़े गृहस्थ के एकलौते बेटे। कहते हैं — इनके यहाँ 1907 से ही गाड़ी है। सन 1952 से ही रसियन ट्रेक्टर और अशोक लेलैंड की ट्रक। जम के ईख की खेती होती। खुद परिवार वालों को नहीं पता की कितनी ज़मीन होगी। इलाके में नाम! गांव बोले तो ‘टुनटुन

Story – बँटवारा बाप का

“पिताजी! पंचायत इकठ्ठी हो गई, अब संपत्ति का बँटवारा कर दो”, घर के सबसे बड़े बेटे ने अपने बाप से कहा। सरपंच — ”जब साथ में निबाह न हो तो औलाद को अलग कर देना ही ठीक है, अब यह बताओ तुम किस बेटे के साथ रहोगे ?” सरपंच ने बुजुर्ग बाप से पूछा। “अरे

Story – वक्त ही नहीं मिला

कहा किसी ने, के आ मिलो, तो वक्त ही नहीं मिला,किसी का दर्द बाँट लो, तो वक्त ही नहीं मिला,जो चाहा कुछ लिखुं कभी, तो वक्त ही नहीं मिला,आराम करना चाहा जो, तो वक्त ही नहीं मिला,माँ बाप को मैं वक़्त दू, तो वक्त ही नहीं मिला। ये सेहत गिर रही थी जब, मुझसे कहा