Story – मन्नत
“चुप कर तू। ताई बड़ी माँ के समान होती है।” बचपन से लेकर मेरे बच्चों के बड़े हो जाने तक माँ से आज भी मुझे यही सुनने को मिलता है। ताई के खिलाफ माँ मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं सुन सकती और एक ताई हैं जो माँ को कुछ सुनाये बिना रह नहीं […]
“चुप कर तू। ताई बड़ी माँ के समान होती है।” बचपन से लेकर मेरे बच्चों के बड़े हो जाने तक माँ से आज भी मुझे यही सुनने को मिलता है। ताई के खिलाफ माँ मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं सुन सकती और एक ताई हैं जो माँ को कुछ सुनाये बिना रह नहीं […]